मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी ।
हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती (ध्रुव) (१९८७,
१९९२)
एक छोटे
शहर में दो मित्र रहते थ । एक का नाम रमेश था और दूसरे का किशन । किशन एक अमीर घर
से था । वह एक बहुत बड़ी इमारत में रहता था । उसके घर में बहुत सारे नौकर -चाकर थे
। किशन के माता-पिता उससे बहुत प्यार करते थे और वे उसकी हर बात मानते थे । इतनी
कम उम्र के बावजूद किशन बहुत घमंडी था ।
रमेश के
माता-पिता भी उससे बहुत प्यार करते थे । परन्तु वे अमीर नहीं थे । रमेश का घर किशन
के घर की तरह बड़ा नहीं था । मगर उसने किशन से कभी भी ईर्ष्या नहीं की । वह सबका
आदर-सम्मान करता था । किशन पढ़ाई में हमेशा अव्वल आता था । उसके अध्यापक कहते थे कि
वह भविष्य में बहुत तरक्की करेगा । वह अपने माता-पिता का नाम रोशन करेगा । रमेश भी
सोचता था कि किशन बुद्धिमान था और चाहता था कि वह भविष्य में बहुत चमके । रमेश भी
एक अच्छा विद्यार्थी था मगर वह किशन की तरह सबकी नज़रों में नहीं आता था ।
एक दिन
पाठशाला के बाद रमेश और किशन घर लौट रहे थे । उस दिन परीक्षा के परिणाम आए थे और
किशन कक्षा में प्रथम आया था । रमेश भी पास हो गया था । किशन फूला नहीं समा रहा था
और देर तक दोस्तों से घिरा रहा । रमेश उसके लिए गेट पर प्रतीक्षा कर रहा था । जब
वे दोनों घर की तरफ चलने लगे तो उन्होंने देखा कि पास के तालाब में कुछ बच्चे खेल
रहे थे । वे तालाब में पत्थर फैंक रहे थे । किशन ने रमेश से कहा-"चलो, हम भी
तालाब में पत्थर फैंके । देखें हमसे बेहतर कौन कर पाता है?" रमेश किशन से
सहमत नहीं था पर फिर भी उसके साथ हो लिया । तालाब पर पहुंचकर किशन अपने गुण गाने
लगा । उसने उन बच्चों से कहा-देखो, मैं कितनी दूर तक पत्थर फैंक सकता है । इतने
में एक छोटा बच्चा जो तालाब के बहुत करीब खड़ा था । अचानक पैर फिसलने से तालाब में
गिर गय । सभी बच्चे चिल्लाने लगे-"उसे बचाओ! उसे बचाओ!" वहाँ पर किशन और
रमेश के अलावा कोई और बड़ा नहीं था । बिना हिचकिचाए रमेश तालाब में कूद पड़ा । किशन
भी एक बेहतरीन तैराक था । परन्तु वह तालाब के किनारे खड़ा रहा । बड़ी मुश्किल से
रमेश उस बच्चे को किनारे ले आया । वह किशन पर बहुत नाराज़ था । तुम तालाब में मेरे
साथ क्यों नहीं कूदे? अगर उस बच्चे को कुछ हो जाता तो ?" रमेश ने गुस्से से कहा
। किशन चुपचाप खड़ा रहा ।
वास्तव
में, हर चीज़ जो चमकती है, वह सोना नहीं होती । सच्चे दिल वाला रमेश भले ही सबकी
नज़रों में चमकता न था मगर उसने दिखा दिया कि असली सोना किसे कहते हैं ?
प्रत्येक चमकने वाली वस्तु सोना नहीं होती {स्नेहा}
यह ज़रूरी
नहीं है जैसी चीज़ें दिखें, वे वैसी ही हों । हम उन चीज़ों या लोगों से धोखा खा सकते
हैं क्योंकि वे बाहर से सोने की तरह चमकते हैं पर अंदर से वे कंकड़ या पत्थर के
समान हो सकते हैं । वे सोने की तरह दिखते ज़रूर हैं पर वे सोना नहीं हैं और उनमें
सोने जैसे अच्छे गुण नहीं हैं । ऐसी चीजों से हम मुश्किल में पड़ सकते हैं ।
जैसे एक
आदमी खुद को बहुत अच्छी तरह से दिखाता है और अपने गुणों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाता है ।
लोग इनसे बेवकूफ बन जाते हैं । उन्हें क्या पता कि वे उन्हें अपने जाल में फँसा
रहे हैं । हमें चीज़ों को उनके बाहर के रूप और आकार से कभी तौलना नहीं चाहिए । हमें
उनके स्वभाव व अच्छाई ही उनको देखना चाहिए ।
आजकल
चीजों को भी बाहर से अच्छा बनाकर और अच्छा आकार देकर बेचा जा रहा है । ऐसे में लोग
उन चीजों को ज्यादा कीमत में बेचते हैं । ऐसे लोग सिर्फ अपने लाभ और भले के लिए
ऐसा करते हैं । विज्ञापन में भी लोग अच्छी से अच्छी चीजेम दिखाते हैं पर हमें क्या
पता कि वे कितनी सच हैं और कितनी नकली ?
आज के समय
में भारत में कितना विकास हुआ है? अब तो यहाँ बहुत स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी आदि
खुल गए हैं । काम करने की जगहें भी बहुत हैं । बड़े-बड़े घर हैं, बड़े शापिंग सेंटर
और बहुत सारी दुकानें भी हैं । अब तो बहुत सारे बच्चे विद्यालय आने लगे हैं ।
सरकारें गाँव के लोगों को मदद करने की कोशिश कर रही हैं । सड़कें भी बना दी हैं और
अब तो गाड़ियाँ भी अलग-अलग तरह की हो गई हैं ।
बाहर से
लोग यहाँ रहने के लिए आने लगे हैं क्योंकि यहाँ बहुत सारी सुविधाएँ हैं । यहाँ
भारत मेम बहुत सारी घूमने की जगहें भी हैं जहाँ हम घूम सकते हैं । इसलिए भारत सोने
की तरह चमक रहा है पर यहाँ कई अवगुण भी हैं जिन्हें हम अनदेखा नहीं कर सकते ।
उनमें से एक है- इस देश की बढ़ती हुई आबादी । भारत उन देशों में से एक है जिसकी
जनसंख्या बहुत ज़्यादा है । इसके कारण हज़ारों लोग परेशानियों से लड़ रहे हैं ।
उन्हें खाना, पानी, कपड़े, रहने की जगह, काम आदि जैसे छोटी चीज़ें नहीं मिल रही हैं
। इतनी बड़ी जनसंख्या के कारण वायु प्रदूषण, पानी का प्रदूषण हो रहा है । इतनी सारी
गाड़ियों के कारण बहुत धूल और आवाज़ आती है । इस तरह और न जाने कितनी चीज़ें हीम जो
ज्यादा जनसंख्या के कारण हो रहा है । हमें अपने देश को बदलने की कोशिश करनी चाहिए
तभी भारत में परिवर्तन आएगा और वह सोने की तरह चमकने लगेगा ।
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